परिचय
मुस्लिम कानून के अंतर्गत विवाह एक पवित्र अनुबंध (Nikah) है, लेकिन कुछ परिस्थितियों में इसे समाप्त किया जा सकता है। विवाह विच्छेद को तलाक (Divorce) कहा जाता है। तलाक पति या पत्नी की ओर से या आपसी सहमति से हो सकता है। मुस्लिम कानून में तलाक की विभिन्न विधियाँ हैं, जिन्हें समझना ज़रूरी है।
पति की ओर से तलाक (Divorce at the Instance of Husband)
मुस्लिम पति को विवाह समाप्त करने का अधिकार है, जिसके लिए वह निम्नलिखित तरीकों से तलाक दे सकता है:
1. तलाक (Talaq)
अर्थ: तलाक एक अरबी शब्द है जिसका मतलब है "मुक्त करना"।
अधिकार: पति को बिना कारण बताए भी तलाक देने का अधिकार है।
प्रकार: तलाक तलाक-ए-राजई (revocable) और तलाक-ए-बैन (irrevocable) हो सकता है।
तलाक की वैधता की शर्तें
1. क्षमता: पति बालिग़ और समझदार हो।
2. स्वेच्छा: पति का निर्णय स्वतंत्र होना चाहिए। (हालांकि हनफ़ी क़ानून में दबाव या नशे में दिया गया तलाक भी वैध माना गया है)।
3. औपचारिकताएँ:
सुन्नी कानून में तलाक मौखिक या लिखित हो सकता है।
शिया कानून में तलाक मौखिक होना चाहिए और दो गवाहों की उपस्थिति अनिवार्य है।
पत्नी की मौजूदगी या उसे सूचना देना आवश्यक नहीं है।
तलाक के प्रकार
1. तलाक-उल-सुन्नत (Revocable Talaq)
अहसन तलाक:
एक बार तलाक उच्चारण कर पत्नी को इद्दत (तीन माहवारी अवधि) का पालन करने दिया जाता है। इद्दत के दौरान पति चाहे तो तलाक वापस ले सकता है।
हसन तलाक:
लगातार तीन तहर (menstrual cycles) में अलग-अलग तीन बार तलाक का उच्चारण किया जाता है। तीसरे बार के बाद तलाक irrevocable हो जाता है।
2. तलाक-उल-बिद्दत (Triple Talaq)
इसे "तलाक-ए-बिद्दत" या त्रिपल तलाक भी कहते हैं।
एक ही समय में तीन बार "तलाक" कहने से तलाक हो जाता था।
2017 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक घोषित किया और संसद ने मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम 2019 पारित किया।
अब यह अपराध है और इसमें 3 साल की सज़ा हो सकती है।
3. इला (Ila)
पति शपथ ले लेता है कि वह पत्नी से 4 महीने तक संबंध नहीं बनाएगा। यदि वह ऐसा करता है तो इसे तलाक माना जा सकता है।
4. ज़िहार (Zihar)
पति अपनी पत्नी की तुलना माँ या बहन से करता है और संबंध बनाने से इंकार करता है। पत्नी अदालत में जाकर तलाक या दांपत्य अधिकार की पुनः स्थापना का दावा कर सकती है।
पत्नी की ओर से तलाक (Divorce at the Instance of Wife)
मुस्लिम पत्नी निम्नलिखित स्थितियों में तलाक प्राप्त कर सकती है:
1. तलाक-ए-तफ़्वीज़ (Talaq-e-Tafweez)
पति पत्नी को तलाक का अधिकार सौंप देता है।
2. खुला (Khula)
पत्नी पति की सहमति से कुछ मुआवज़ा देकर तलाक ले सकती है।
3. मुबारात (Mubarat)
पति और पत्नी दोनों आपसी सहमति से अलग होना चाहते हैं।
न्यायिक तलाक (Judicial Divorce)
1. लिआन (Lian)
यदि पति पत्नी पर व्यभिचार का झूठा आरोप लगाता है, तो पत्नी अदालत में तलाक का दावा कर सकती है।
2. फ़स्ख़ (Faskh)
अदालत पत्नी के आवेदन पर, यदि विवाह उसके लिए हानिकारक हो, तो तलाक दे सकती है।
मुस्लिम विवाह विच्छेद अधिनियम 1939 (Dissolution of Muslim Marriage Act, 1939)
इस अधिनियम की धारा 2 के तहत पत्नी निम्न आधारों पर तलाक ले सकती है:
1. पति 4 वर्षों से लापता हो।
2. पति 2 वर्षों तक पत्नी का भरण-पोषण न करे।
3. पति 7 साल की कैद की सज़ा भुगत रहा हो।
4. पति दांपत्य दायित्व पूरा न करे।
5. पति नपुंसक हो।
6. पति पागल, कोढ़ या संक्रामक रोग से ग्रसित हो।
7. ख़ियार-उल-बुलूग़: यदि लड़की की शादी 15 साल से पहले कर दी गई हो, तो 18 साल की उम्र से पहले वह विवाह अस्वीकार कर सकती है (यदि विवाह consummate न हुआ हो)।
8. पति द्वारा क्रूरता।
9. कोई अन्य आधार जो मुस्लिम कानून में मान्य हो।
धर्म परिवर्तन (Apostasy) का प्रभाव
यदि मुस्लिम पति इस्लाम छोड़ देता है, विवाह स्वतः समाप्त हो जाता है।
पत्नी धर्म परिवर्तन करने पर विवाह स्वतः समाप्त नहीं होता। यदि वह चाहें तो अधिनियम 1939 के तहत तलाक ले सकती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
Q1. क्या मुस्लिम पति बिना कारण बताए तलाक दे सकता है?
हाँ, पारंपरिक मुस्लिम कानून में पति को बिना कारण बताए तलाक देने का अधिकार है, लेकिन अब अदालतें और अधिनियम इसके दुरुपयोग पर रोक लगाते हैं।
Q2. ट्रिपल तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) भारत में मान्य है?
नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में इसे असंवैधानिक घोषित कर दिया और 2019 का अधिनियम इसे अपराध मानता है।
Q3. क्या पत्नी भी तलाक ले सकती है?
हाँ, पत्नी तलाक-ए-तफ़्वीज़, खुला, मुबारात और मुस्लिम विवाह विच्छेद अधिनियम 1939 के अंतर्गत तलाक ले सकती है।
Q4. इद्दत अवधि क्या होती है?
तलाक या पति की मृत्यु के बाद पत्नी को लगभग 3 माहवारी अवधि (लगभग 3 महीने) तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है। इसे इद्दत कहते हैं।
Q5. अगर पति लंबे समय से गुमशुदा है तो पत्नी तलाक कैसे ले सकती है?
यदि पति 4 साल से लापता है तो पत्नी 1939 अधिनियम के अंतर्गत अदालत से तलाक प्राप्त कर सकती है।
निष्कर्ष
मुस्लिम कानून में विवाह विच्छेद की कई विधियाँ हैं। पति और पत्नी दोनों को अलग-अलग परिस्थितियों में तलाक लेने का अधिकार है। लेकिन भारतीय संविधान और हालिया कानूनों ने इसे और संतुलित और न्यायपूर्ण बनाया है।
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