प्रस्तावना
भारतीय न्याय व्यवस्था में समन एक अत्यंत महत्वपूर्ण दस्तावेज है। जब किसी मामले में निर्णय लेना होता है, तो पक्षकारों की अदालत में उपस्थिति आवश्यक होती है। बिना उनकी उपस्थिति के कानूनी प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकती।
मेरे अनुभव में, कई लोग समन की प्रक्रिया से अनजान रहते हैं और इसके परिणामस्वरूप उन्हें अनावश्यक कानूनी परेशानी का सामना करना पड़ता है। मेरे विचार में, समन की प्रक्रिया को समझना बहुत जरूरी है ताकि हम अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों को सही समय पर निभा सकें।
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पक्षकारों की उपस्थिति निम्न उद्देश्यों के लिए आवश्यक होती है:
आरोप का उत्तर देने के लिए
अदालत के सामने गवाही देने के लिए
आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए
जब कोई व्यक्ति अपनी इच्छा से अदालत में उपस्थित नहीं होता, तो न्यायालय उसकी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए समन (अदालत का नोटिस) जारी करती है। यह न्यायिक प्रक्रिया का प्रारंभिक और महत्वपूर्ण चरण होता है।
समन का कानूनी दायरा
नए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS – Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita) में धारा 63 से 71 तक समन की प्रक्रिया, उसका स्वरूप और उसकी सेवा (Serving of Summon) से संबंधित नियम निर्धारित किए गए हैं।
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समन क्या है?
समन एक लिखित आदेश है जो अदालत द्वारा जारी किया जाता है, जिसका उद्देश्य किसी व्यक्ति को अदालत में उपस्थित कराना होता है।
कानून में इसे अदालत के सामने उपस्थित होने के लिए दिया गया आधिकारिक नोटिस माना जाता है।
मैंने देखा है कि जब लोग इस कानूनी प्रक्रिया को हल्के में लेते हैं, तो उन्हें बाद में गंभीर परिणाम झेलने पड़ सकते हैं।
समन के प्रकार
1. सिविल समन (Civil Summon)
यह नागरिक मामलों में जारी किया जाता है।
जब किसी व्यक्ति को किसी वाद (Civil Case) के संबंध में अदालत में उपस्थित होना आवश्यक हो।
उदाहरण: यदि दो पड़ोसियों के बीच संपत्ति विवाद है और एक पक्ष दूसरे पर अतिक्रमण का मुकदमा दर्ज कराता है, तो अदालत द्वारा दूसरे पक्ष को सिविल समन भेजा जाएगा।
2. क्रिमिनल समन (Criminal Summon)
यह आपराधिक मामलों (Criminal Cases) में जारी किया जाता है।
जब किसी आरोपी को अदालत में गवाही देने या सुनवाई में भाग लेने के लिए बुलाना हो।
उदाहरण: किसी चोरी या मारपीट के मामले में पुलिस संदिग्ध व्यक्ति को अदालत में पेश होने के लिए समन जारी करती है।
समन का उद्देश्य
आरोपी की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए
गवाह की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए
आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत कराने के लिए
निर्णय के समय संबंधित व्यक्ति को उपस्थित कराने के लिए
समन का स्वरूप (Form of Summon) – धारा 63
समन लिखित रूप में कम से कम दो प्रतियों में तैयार किया जाता है।
न्यायालय के मजिस्ट्रेट के हस्ताक्षर और अदालत की मुहर होती है।
जिस व्यक्ति को बुलाया गया है उसका नाम, पता और उपस्थित होने की तारीख व समय स्पष्ट रूप से लिखा जाता है।
समन की सेवा (Service of Summon) – धारा 64
समन व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से दिया जाता है।
यह समन पुलिस अधिकारी या अधिकृत व्यक्ति द्वारा सौंपा जाता है।
समन प्राप्त करने वाला व्यक्ति दूसरी प्रति के पीछे हस्ताक्षर करता है, जो प्रमाण होता है कि समन प्राप्त कर लिया गया है।
जब व्यक्ति न मिले (When Person Not Found) – धारा 66
यदि संबंधित व्यक्ति को उसके पते पर पाया नहीं जाता, तो समन उसके घर के किसी पुरुष सदस्य को सौंपा जा सकता है, जो उसके साथ रहता हो।
प्रतिस्थापित सेवा (Substituted Service) – धारा 67
कभी-कभी व्यक्ति समन लेने से बचता है, छिपता है या जानबूझकर टालता है, ऐसे में अदालत प्रतिस्थापित सेवा का उपयोग कर सकती है:
समन को घर के दरवाजे पर चिपकाया जा सकता है।
आवश्यकता पड़ने पर अखबार में नोटिस प्रकाशित किया जा सकता है।
निष्कर्ष
मेरे विचार में, समन भारतीय न्याय व्यवस्था का अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा है।
यह अदालत की कार्यवाही को सुगम और व्यवस्थित बनाता है।
यदि आपको समन या अदालत का नोटिस प्राप्त होता है, तो उसे गंभीरता से लेना चाहिए और कानूनी प्रक्रिया के अनुसार उसका पालन करना चाहिए।
समन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
प्र.1: समन क्या होता है?
उत्तर: समन एक लिखित आदेश है जो अदालत द्वारा जारी किया जाता है, ताकि किसी व्यक्ति को अदालत में उपस्थित कराया जा सके।
प्र.2: समन कितने प्रकार का होता है?
उत्तर: मुख्यतः दो प्रकार के समन होते हैं –
1. सिविल समन (Civil Summon)
2. क्रिमिनल समन (Criminal Summon)
प्र.3: समन की सेवा कैसे होती है?
उत्तर: समन पुलिस या अधिकृत व्यक्ति द्वारा संबंधित व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से दिया जाता है। यदि व्यक्ति उपलब्ध न हो, तो घर के वयस्क सदस्य को दिया जा सकता है या दरवाजे पर चिपकाया जा सकता है।
प्र.4: यदि कोई व्यक्ति समन को नज़रअंदाज़ करे तो क्या होगा?
उत्तर: यदि कोई व्यक्ति समन का पालन नहीं करता, तो अदालत उसके खिलाफ जमानती वारंट या गैर-जमानती वारंट जारी कर सकती है।
प्र.5: समन का जवाब कैसे दें?
उत्तर: समन मिलने पर समय पर अदालत में उपस्थित होकर या कानूनी सलाह लेकर उचित उत्तर देना चाहिए। ऐसा न करने पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
अस्वीकरण:
यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से है और इसे कानूनी सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। विशिष्ट कानूनी मार्गदर्शन के लिए, कृपया किसी योग्य कानूनी पेशेवर से संपर्क करें।


