परिचय
आज के समय में कानून (Law) का क्षेत्र न सिर्फ एक सम्मानजनक करियर है, बल्कि इसमें अच्छी कमाई और समाज की सेवा करने का अवसर भी मिलता है। अगर आप वकील (Advocate), जज, या किसी कानूनी सलाहकार के रूप में काम करना चाहते हैं, तो आपको Law की डिग्री लेनी होगी। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि Law की पढ़ाई कैसे शुरू करें, कौन-सी योग्यता चाहिए, और कोर्स पूरा करने के बाद क्या-क्या कर सकते हैं।
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1. Law की पढ़ाई के लिए योग्यता (Eligibility Criteria)
A. 12वीं के बाद (Integrated Law Course)
न्यूनतम योग्यता: 12वीं पास (किसी भी स्ट्रीम – Arts, Commerce, Science)
न्यूनतम अंक: 45% (SC/ST के लिए छूट)
कोर्स का नाम: BA LLB, B.Com LLB, BBA LLB
कोर्स अवधि: 5 साल
B. ग्रेजुएशन के बाद (3 Year LLB)
न्यूनतम योग्यता: किसी भी विषय में ग्रेजुएशन
न्यूनतम अंक: 45% (SC/ST के लिए छूट)
कोर्स का नाम: LLB
कोर्स अवधि: 3 साल
5 साल के LLB और 3 साल के LLB – फायदे और नुकसान
A. 5 साल का LLB (12वीं के बाद)
फायदे (Pros)
12वीं के तुरंत बाद लॉ की पढ़ाई शुरू कर सकते हैं
इंटीग्रेटेड कोर्स (BA LLB, BBA LLB, B.Com LLB) से एक साथ ग्रेजुएशन और LLB मिलती है
जल्दी करियर शुरू करने का मौका
ज्यादा समय लॉ सब्जेक्ट पर फोकस करने का मौका
1 साल की बचत होती है (ग्रेजुएशन + LLB अलग-अलग करने में 6 साल लगते हैं, लेकिन इसमें 5 साल में हो जाता है)
सभी Law subjects को 5 साल में बांट दिया जाता है, जिससे स्टडी प्रेशर कम हो जाता है
नुकसान (Cons)
अगर बीच में इंटरेस्ट बदल जाए तो समय और पैसे का नुकसान
कोर्स लंबा होने से बीच में छोड़ने का रिस्क
लगातार 5 साल तक पढ़ाई करना काफी कठिन होता है, खासकर उन छात्रों के लिए जिन्हें लॉ में शुरुआत से इंटरेस्ट न हो
B. 3 साल का LLB (ग्रेजुएशन के बाद)
फायदे (Pros)
पहले किसी भी विषय में ग्रेजुएशन करने के बाद लॉ पढ़ सकते हैं
ज्यादा मैच्योरिटी और समझ के साथ लॉ सब्जेक्ट पढ़ने का मौका
अगर लॉ में इंटरेस्ट न हो तो ग्रेजुएशन के बाद दूसरे करियर ऑप्शन भी खुले रहते हैं
कोर्स छोटा (3 साल) होने से जल्दी पूरा हो जाता है
पहला साल क्लियर होने पर सीधे 3rd year तक एडमिशन कंटिन्यू करने का मौका मिलता है
ड्रॉप होने (DC) के चांस कम होते हैं
नुकसान (Cons)
1 साल ज्यादा लगता है (ग्रेजुएशन 3 साल + LLB 3 साल = कुल 6 साल)
12वीं के बाद लॉ में करियर शुरू करने वालों की तुलना में देर से शुरुआत
सारे Law subjects एक साथ आ जाने से स्टडी प्रेशर बढ़ जाता है
2. Law में एडमिशन के लिए एंट्रेंस एग्जाम
अच्छी यूनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए आपको एंट्रेंस एग्जाम पास करना होगा:
CLAT (Common Law Admission Test) – National Law Universities के लिए
MH CET Law – महाराष्ट्र के Law Colleges के लिए
LSAT India – प्राइवेट और इंटरनेशनल Law Colleges के लिए
AILET – NLU Delhi के लिए
3. Law कोर्स के मुख्य विषय
भारतीय दंड संहिता (IPC)
संवैधानिक कानून (Constitutional Law)
सिविल प्रक्रिया संहिता (CPC)
आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC)
संविदा अधिनियम (Contract Act)
पारिवारिक कानून (Family Law)
संपत्ति कानून (Property Law)
4. फीस और स्कॉलरशिप
सरकारी कॉलेज: ₹20,000 से ₹60,000 प्रति वर्ष
प्राइवेट कॉलेज: ₹1 लाख से ₹3 लाख प्रति वर्ष
स्कॉलरशिप: राज्य सरकार, केंद्रीय सरकार और प्राइवेट संस्थान कई तरह की छात्रवृत्ति देते हैं
5. लॉ किस कॉलेज से करें — NLU, प्राइवेट या यूनिवर्सिटी अफिलिएटेड?
नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (NLU)
NLU में एडमिशन CLAT (Common Law Admission Test) के जरिए होता है। यहां से पढ़ाई करने के बाद प्लेसमेंट के बेहतरीन मौके मिलते हैं, इसी वजह से यह एक फायदे का सौदा माना जाता है। इंफ्रास्ट्रक्चर, फैकल्टी और मूट कोर्ट जैसी सुविधाएं यहां उच्च स्तर की होती हैं। मैं खुद एक लॉ स्टूडेंट हूं, और अपने अनुभव के आधार पर आपको सलाह दूंगा कि अगर संभव हो तो NLU से ही अपनी पढ़ाई करें।
प्राइवेट लॉ कॉलेज
प्राइवेट लॉ कॉलेजों में एडमिशन प्रक्रिया आसान होती है और कई जगह बिना एंट्रेंस एग्जाम के भी एडमिशन मिल जाता है। इनका इंफ्रास्ट्रक्चर आमतौर पर अच्छा होता है, लेकिन फीस काफी ज्यादा होती है जिसे हर कोई अफोर्ड नहीं कर पाता। साथ ही, सभी प्राइवेट कॉलेज का प्लेसमेंट रिकॉर्ड समान रूप से अच्छा नहीं होता, इसलिए एडमिशन से पहले जांच जरूरी है।
यूनिवर्सिटी अफिलिएटेड कॉलेज
यूनिवर्सिटी अफिलिएटेड कॉलेज किसी सरकारी विश्वविद्यालय से जुड़ा होता है। यहां फीस कम होती है और एडमिशन प्रक्रिया भी आसान रहती है। हालांकि, प्लेसमेंट रिकॉर्ड और इंफ्रास्ट्रक्चर सीमित हो सकता है, लेकिन कम बजट वालों के लिए यह एक उचित विकल्प है।
6. Law की डिग्री के बाद करियर विकल्प
एडवोकेट (Advocate) – कोर्ट में केस लड़ना
जज (Judge) – न्यायिक परीक्षा पास करने के बाद
कॉर्पोरेट लॉयर – कंपनियों को कानूनी सलाह
लीगल एडवाइजर – सरकारी और प्राइवेट संस्थानों में
टीचिंग – Law कॉलेज में प्रोफेसर
NGO वर्क – सामाजिक और मानवाधिकार मामलों में
7. महत्वपूर्ण टिप्स
हमेशा Bar Council of India (BCI) से मान्यता प्राप्त कॉलेज में ही एडमिशन लें
पढ़ाई के साथ-साथ इंटर्नशिप जरूर करें
लॉ की पढ़ाई के दौरान केस स्टडी, मूट कोर्ट, और लीगल रिसर्च पर फोकस करें
मेरी सलाह:
एक कानून का छात्र होने के नाते मैं आपको 5 साल का इंटीग्रेटेड लॉ कोर्स करने की सलाह दूंगा, ताकि आप समय बचाते हुए शुरुआत से ही लॉ के विषय में गहराई से पढ़ाई कर सकें और अच्छे करियर अवसरों का फायदा उठा सकें।
लेकिन, अगर आप फर्स्ट-जनरेशन लॉयर हैं और लिटिगेशन में जाना चाहते हैं, तो शुरुआती 5 साल थोड़े संघर्षपूर्ण हो सकते हैं, क्योंकि इस दौरान आपको खुद का नेटवर्क और क्लाइंट बेस बनाने में समय लगेगा।
निष्कर्ष
Law की डिग्री लेने के लिए सही कोर्स और कॉलेज का चुनाव बहुत जरूरी है। अगर आप मेहनत, धैर्य और ईमानदारी से पढ़ाई करेंगे तो इस क्षेत्र में आपको सम्मान, स्थिरता और आर्थिक सफलता जरूर मिलेगी।

